मातृभूमि की लाज के खातिर सर्वश अपना लुटाऊंगा, इस माटी में जन्म लिया है, इस माटी में मातृभूमि की लाज के खातिर सर्वश अपना लुटाऊंगा, इस माटी में जन्म लिया है, ...
मैं लौटकर आ सकूूँ अपने घर को सकुशल बचते हुए अंंधेरों से। मैं लौटकर आ सकूूँ अपने घर को सकुशल बचते हुए अंंधेरों से।
क्या करूँ मैं निंदा पर की, अपने ही जब वक्त बदलते। क्या करूँ मैं निंदा पर की, अपने ही जब वक्त बदलते।
अगर प्यार इसे कहते हैं तो, “इमोशनल अत्याचार “की परिभाषा क्या है। अगर प्यार इसे कहते हैं तो, “इमोशनल अत्याचार “की परिभाषा क्या है।
इस दकियानूसी परीक्षा को देते रहेगे खुद की इज्जत को इस दकियानूसी परीक्षा को देते रहेगे खुद की इज्जत को
क्या तुम्हें मेरी कमी बिलकुल नहीं खलती है ! क्या तुम्हें मेरी कमी बिलकुल नहीं खलती है !